नई दिल्ली- गणतंत्र दिवस समारोह की परेड के दौरान निकाली गई लद्दाख की झांकी में इस केंद्र शासित प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के मनोरम दृष्य और जीवंत संस्कृति की झलक देखने को मिली। लेह और करगिल के कलाकारों की मंडली भी दिखी जो इस झांकी में चार चांद लगाने वाली थी। कर्तव्य पथ पर निकाली गई इस झांकी में सातवीं सदी की गांधार कला आधारित पत्थरों से तराशी गई बुद्ध प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया। करगिल की इन प्रतिमाओं की तरह दुनिया में सिर्फ तीन प्रतिमाएं हैं और इन्हें बामियान की बुद्ध प्रतिमा की श्रेणी का माना जाता है। बामियान की बुद्ध प्रतिमा को अफगानिस्तान के तालिबान शासन में ध्वस्त कर दिया गया था। गणतंत्र दिवस की झांकी में लद्दाख ने बहुत ही गौरवान्वित तरीके से अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक स्थलों का प्रदर्शन किया। इस बार की गणतंत्र दिवस की परेड में कुल 23 झांकियां निकाली गईं। इनमें से 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की झांकियां थीं और छह झांकियां विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से संबंधित थीं। राष्ट्रीय राजधानी में कर्तव्य पथ पर देश के 74वें गणतंत्र दिवस समारोह पर आयोजित परेड में असम की झांकी में अहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित बोड़फूकन, प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर सहित राज्य की अन्य सांस्कृतिक धरोहरों का प्रदर्शन किया गया।
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